Rajesh rajesh

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लेखनी प्रतियोगिता -30-Dec-2022 राज मिस्त्री रामप्रसाद

रामप्रसाद बहुत होशियार राजमिस्त्री था। वह उत्तराखंड के पहाड़ों के पत्थरों सेचिनाई करके मकान बनाता था। रामप्रसाद की यही रोजी-रोटी थी। उसके परिवार में एक 5 साल की बेटी और पत्नी शकुंतला थी। रामप्रसाद मध्य प्रदेश का रहने वाला था।


रामप्रसाद जिस गांव में भी मकान बनाता था, तो उसी गांव में उसे किराए पर मकान लेकर रहना पड़ता था। और जहां वह किराए का मकान लेकर रहता था वहां के लोगों के साथ बहुत प्यार मोहब्बत से रहता था।

गांव में जब कोई भी शादी ब्याह होता था, तो रामप्रसाद के परिवार को भी सब निमंत्रण जरूर देते थे। जब भी रामप्रसाद के पास किसी शादी विवाह का निमंत्रण आता था, तो वह जिस व्यक्ति का मकान बना रहा होता था, उसे सेआधे दिन की छुट्टी लेकर घर आ जाता था।

और जब किसी लड़की की शादी का न्योता मिलता था, तो वह अपनी बेटी और पत्नी शकुंतला के साथ कन्यादान का सामान खरीदने बाजार जरूर जाता था।

 और शादी का निमंत्रण मिलने के बाद वह नहा धोकर नए कपड़े पहन कर अपने परिवार के साथ जब शादी में शामिल होता था, तो वहां खूब उत्साह से शादी का आनंद लेता था। इसके अलावा कोई भी त्यौहार आता था, तो भी वह गांव वालों के साथ खुशी से मिलजुल कर मनाता था।

रामप्रसाद अपनी बेटी और पत्नी शकुंतला गांव वालों के साथ हंसी खुशी से अपना जीवन जी रहा था। 

रामप्रसाद की छुट्टी थी और वह चारपाई पर बैठ कर धूप में अपनी बेटी को मूंगफली छील छील कर खिला रहा था। उसी समय गांव के दो बच्चे रामप्रसाद के पास से गुजरते हैं, आपस में बातें करते हुए कि आज शाम को पहाड़ पर बाजार लगेगा। रामप्रसाद जब अपनी पत्नी शकुंतला से कहता है कि "आज शाम को हम भी पहाड़ के बाजार पर सामान लेने चलेंगे" तो उसकी पत्नी बहुत खुश हो जाती है।

शाम को रामप्रसाद अपनी बेटी और पत्नी शकुंतला के साथ पहाड़ के बाजार में सामान लेने जाता है। 

रामप्रसाद बाजार में पहुंचकर गरम गरम समोसे और जलेबी खरीद कर अपनी पत्नी और बेटी के साथ एक पहाड़ी पत्थर पर बैठकर इधर-उधर की बातें करते करते  स्वाद स्वाद ले ले कर खाता है। और बाजार की रंग बिरंगी लाइटों को देखकर रामप्रसाद को बहुत सुकून महसूस होता है।

गांव वाले उसके सामने से जल्दी जल्दी पहाड़ के बाजार से सामान लेकर अपने घरों की तरफ जा रहे थे।

राम प्रसाद की पत्नी शकुंतला कहती है कि "तुम भी घर का सामान बाजार से जल्दी खरीद लो हम भी इनके साथ ही घर चलते हैं।"लेकिन रामप्रसाद के दिमाग में यह लालच आ गया था कि गांव के ग्राहकों के जाने के बाद दुकानदार हमें अपना सामान सस्ते में बेच देंगे।

लेकिन रामप्रसाद जब बाजार की दुकानों से सामान लेने जाता है तो सारे दुकानदार सामान देने से मना कर देते हैं, क्योंकि ज्यादा रात होने की वजह से सब जल्दी-जल्दी अपनी-अपनी दुकानें बंद कर रहे थे।

लालच के कारण रामप्रसाद बाजार से कुछ भी सामान नहीं खरीद पाता और खाली हाथ अपनी पत्नी शकुंतला और बेटी के साथ बाजार से अपने घर की तरफ चल देता है।

सर्दियों के मौसम की वजह से पहाड़ के रास्ते सुनसान हो जाते हैं। गांव का एक भी व्यक्ति रामप्रसाद को रास्ते में नहीं मिलता है। पहाड़ पर चारों तरफ अंधेरा ही अंधेरा होता है। रामप्रसाद अपनी बेटी और पत्नी की हिम्मत बढ़ाते हुए उनके साथ गांव की तरफ चलता रहता है।

 तभी अचानक पहाड़ के जंगल से एक खूंखार चीता रामप्रसाद और उसके परिवार के सामने आ जाता है।

 राम प्रसाद की आंखों के सामने आदमखोर खूंखार चीता राम प्रसाद की पत्नी शकुंतला को अपने मजबूत जबड़ों से कसकर पकड़ कर जंगल की तरफ खींचता हुआ ले जाता है।

 रामप्रसाद इस दर्दनाक घटना के बाद अपनी बेटी  को गले लगा कर खूब तेज तेज रोता है। रामप्रसाद की तेज तेज रोने की आवाज सुनकर गांव के लोग लाठी-डंडे लेकर भाग कर तुरंत आ जाते हैं। लेकिन खूंखार चीता राम प्रसाद की पत्नी को घने जंगलों में घसीटते हुए ले गया था।

रामप्रसाद सर पकड़ कर पछताते हुए रो रो के कहता है "आज मेरे लालच ने मेरी पत्नी की जान ले ली।"

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3 Comments

Gunjan Kamal

03-Jan-2023 12:25 PM

बहुत ही सुन्दर प्रस्तुति 🙏🏻

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शानदार प्रस्तुति 👌

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बहुत ही सुन्दर

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